लेखक की कलम से

लेखक की कलम से

  • जीवन….

    जीवन ऐसे ही बीत गया झंझाबातों से जीत गया कब धूप मिला, कब छांव खिला धूप छांव से ही घिर गया!   पगडंडी के पथिक सभी कुछ छूट गए, कुछ रूठ गए यात्रा अविरल बह निकला धाराओं का क्रम कहां छूटा!   स्मृतियों का ताना-बाना सा कुछ खट्टी मीठी यादों का हम ऋणि बने हैं उनके ही जो जख्म दिए अविश्वासों का!   जीवन है नद सा बहता एक दिन…

  • बेटियां …

      आसमान कहां तय करता है, उड़ान उनके सपनों की। बस,अंतिम छोर के क्षितिज तक, उड़ना चाहती है,बेटियां । समुंद्र की गहराई नहीं जानती, फिर भी महासागरों में गोते लगाना चाहती है, बेटियां । कायदे वायदे उन्हें ना समझाएं, ये दुनिया,बस हर हाल में, रिश्ते निभाना जानती है,बेटियां। एक घर से दूसरे घर की, दहलीज लांघकर सब के, दिलों में जगह बनाना जानती है,बेटियां । कभी कल्पना चावला, कभी पीटी…

  • तुम सा प्रेम…

    लोक लाज तजकर प्रेम में पागल होई, किशोरी! तुम सा प्रेम करे क्या कोई।   न भाए यमुना तट,न भाए मनोहर कुंज के वन, न ललचाए वृंदावन की गलियां औ शीतल पवन।   श्याम विरह अति भारी, व्याकुल नैन दो रोईं, किशोरी! तुम सा प्रेम करे क्या कोई।   जब से गए मथुरा नगरी, यूं छोड़ गोकुल धाम, भरे हुए दूध माखन मटकी,राह तके सुबह शाम।   सांवरी सूरत के…

  • नये….. साल में…

      नये साल में जिंदगी के नये तरीक़े इजाद कीजिए। दूसरों पर रखीं उम्मीदें समेट कर खुद पर उम्मीद कीजिए।     नये साल में जिंदगी के नये तरीक़े इजाद  कीजिए। एक -एक ग्यारह जरूर होते है। एक बनकर अपनी कीमत की पहचान कीजिए।   गलत -गलत…… गलत का । जब शोर मचा हो। मैं सही हूँ…… इस बात पर हमेशा गौर कीजिए।   नये साल में जिंदगी के नये …

  • साक्षात्कार ….

      आज हुआ स्वयं से साक्षात्कार ढूंढती थी मैं जिसको– वो मेरे अंदर ही तो है। स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार!   संसार में रहकर खोजती थी जिसको वो मेरे अंदर ही तो है– हाँ मेरा आत्मविश्वास। स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार!   कोई सहारा दे मुझको नज़रे ढूंढती वो मेरे अंदर ही समाया– हाँ मेरा दृढ़ संकल्प । स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार !   उच्चतर…

  • पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय ….

    अक्षय नामदेव। हिंदी फिल्मीं संगीत में रुचि रखने वाला ऐसा कौन व्यक्ति होगा जिसने कभी ना कभी। “पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय”गीत ना गुनगुनाया होगा? यह ऐसा गीत है जिसमें हर किसी व्यक्ति को अपने दर्द का ही एहसास होता है और लगता है कि यह गीत उसी की कहानी कह रहा है। यही तो कवि प्रदीप की विशेषता थी कि उनके लिखे गए गीतों में…

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