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जाति मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जोगी ने, बताई खामियां

बिलासपुर/ रायपुर। 23 अगस्त 2019 को छानबीन समिति ने अजीत जोगी की जाति पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि अजीत जोगी आदिवासी नहीं हैं। इस मामले में 29 पेज की रिपोर्ट छानबीन समिति ने तैयार की है। अमित जोगी ने कहा कि  9 और 10 मई 2019 को, जब उनके पिता अस्पताल में जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे, तो समिति द्वारा जोगिसार, सारबाहरा और तालापारा गाँवों से उनके विरोध फ़र्ज़ी दस्तावेज़ी और मौखिक चीज़ें तथाकथित शाक्ष्य के रूप में इकट्ठी की गई। हमारे अनेकों आवेदनों के बाद आज तक ये चीज़ें हमें दिखाई तक नहीं गई हैं।

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने जाति मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में आज छानबीन समिति के फैसले को चैलेंज करते हुए याचिका दायर किया है। मामले में अमित जोगी ने प्रेस बयान जारी कर छानबीन समिति की तरफ से दुराभाव से फैसले लेने का आरोप लगाया है। अमित जोगी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में कई ऐसी खामियां है, जो साबित करती है कि अजीत जोगी की जाति पर फैसला द्वेषपूर्ण तरीके से लिया गया है। अमित जोगी ने कहा कि इस मामले में 55 अलग-अलग बिंदुओं के आधार छानबीन समिति की अंतिम रिपोर्ट को हाईकोर्ट में आज चैलेंज किया जायेगा।

अमित ने कहा है कि उनके पक्ष में 2 अक्टूबर 2018 को जोगिसार ग्राम सभा के हज़ारों लोगों ने उपस्थिति दर्ज करके ये सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि जोगी और उनके पूर्वज कंवर जनजाति के हैं। इसे समीर पैकरा और संत कुमार नेताम के निवेदन पर न जाने कब ग्राम पंचायत के सचिव ने ख़ारिज कर दिया। अमित ने कहा कि छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम में ग्राम सभा सर्वोपरि है और ग्राम पंचायत को उसकी किसी भी कार्यवाही को ख़ारिज करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। फ़र्ज़ी समिति ने एक ग़ैरक़ानूनी दस्तावेज़ के आधार पर एक वैधानिक प्रस्ताव को ख़ारिज कर अपनी मंशा और अपने राजनीतिक मालिकों की बददिमाग़ी का प्रमाण दिया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा प्रत्याशी समीर पैकरा के मेरे विरुद्ध चुनाव याचिका को ख़ारिज करते समय माननीय उच्च न्यायालय ने 30 जनवरी 2019 को आदेश किया था कि संविधान और अनुसूचित जनजाति आदेश 1950 किसी को भी मेरी कँवर जनजाति छीनने का अधिकार नहीं देता। भूपेश की फ़र्ज़ी समिति की सबसे बेतुकी और हास्यास्पद दलील यह रही कि उच्च न्यायालय का ये आदेश केवल अमित जोगी पर लागू होगा, उनके पिता जी पर नहीं! आज तक बेटे की जाति बाप के नाम से जानी जाति थी लेकिन फ़र्ज़ी समिति स्वामीभक्ति में विलीन होकर उलटी गंगा बहाने लगी है।

इन सब बातों को लेकर क़रीब 55 अन्य आधारों के साथ आज हम पूर्व में उच्च न्यायालय में इस संबंध में प्रक्रिया सम्बंधी याचिकाओं को वापस लेते हुए छानबीन समिति के इस आदेश को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती देने जा रहे हैं।

न्यायपालिका पर हमारा पूरा भरोसा है कि हमारे साथ अन्याय नहीं होगा।

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