लेखक की कलम से
लेखक की कलम से
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नई पीढ़ी की नई सोच बदल रही है समाज का स्वरूप: कितनी सही कितनी गलत ….
समाज में परिवर्तन होता रहता है। अक्सर हम अपने आसपास हो रहे बदलावों को मूक होकर देखते रहते हैं। देखना एक तरीके से सही भी है क्योंकि परिवर्तन होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। फिर प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही निजी समस्याओं में भी घिरा होता है तो वह समाज की समस्याओं में दखल देने से बचता ही है किंतु कभी-कभी कुछ घटनाएं हमें झंझोड़ देती हैं। सोचने पर मजबूर कर देती…
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भाग गयी लड़कियाँ ….
लड़कियां भाग गयी इस शब्द का प्रयोग शर्मनाक है। लड़की या लड़के ने प्रेम विवाह किया ये कहने में क्या जाता है? जब माता पिता बेटी की शादी करते हैं तो कहते है विदाई कर दी! लड़कियां अपने घर रहती ही कब हैं। पराई होती हैं। लेकिन जब लड़की प्रेम विवाह कर ले तो कहा जाता है लड़की भाग गयी, इतने गंदे शब्दों से नवाज़ा जाता है। क्या लड़कियों को…
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लंदन शहर …..
बहुत खूबसूरत है लंदन शहर दिवास्वप्न है सबका लंदन शहर प्यारे समुंदर हैं चारों तरफ़ सुन्दर नज़ारे हैं चारों तरफ दिल को लगे ये बहुत प्यारा प्यारा लंदन शहर सारी दुनिया से न्यारा सोये न जागे ये आठों पहर बहुत खूबसूरत है लंदन शहर हँसी वादियों का है शहरे-लंदन धुआं बादलों का है शहरे-लंदन चांद और-सूरज दिखें मुश्किलों से ठंडी हवाओं का है शहरे लंदन …
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प्यार ….
गज़ भर ही दूर है किनारा … ऐसा लगा मुझे, कि बस… लपक कर , पकड़ लूंगी। मैं लपकी भी। पर यह क्या? वो तो रेत का था, मेरे हाथों से फिसल गया। शायद…. जो हर बार मुझे आख़िरी लगा ये तो वही सवाल था, मेरे प्यार का तेरे इनकार का, लेकिन… हर जवाब ने एक नया सवाल खड़ा कर दिया। मेरे अदने से प्यार को, और बड़ा कर दिया।…
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राहुल की महाराष्ट्र पदयात्रा के मायने, सच में कोई फायदा है क्या ….
संदीप सोनवलकर वरिष्ठ पत्रकार । हाल ही में दिवंगत समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव निजी बातचीत मे अक्सर कहा करते थे कि नेता तब तक ही सामयिक है जब तक उसके बारे में चर्चा और पर्चा दोनों होते रहे .. यानि मीडिया में खबर छपे और लोगों मे चर्चा हो . नेता जी ये बात अपने ठेठ अंदाज में कही थी लेकिन राजनीती का यही सौ आने सच है ..…
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ताज …
बेटी एक प्रेम और लक्ष्मी के सिंघासन पर बैठाई गयी एक देवी है ,माता पिता भी बेटी के हाथ जल्दी पीले करने की सोचते रहते हैं ,क्योंकि उन्हें डर रहता है की समाज की तीखी जवा़न या भूखी नजरें उनकी बेटी पर हमला न कर दे । लेकिन बेटी के भी अपने दायरे होने चाहिए ये भी जरुरी है उसका अपना भी स्वाभिमान होना चाहिए कि कोई मुझसे गलत…
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कब तुम मिलने आओगे …
मेरी आंखों में खुशियों के नीर बहुत बरसाओगे कब तुम मिलने आओगे प्रतिक्षण तेरा इंतज़ार है मन की मेरी गलियों को उपवन हंसता खिलता रहता देख देख इन कलियों को मधुर गीत गाते हैं भंवरे तेरे स्वागत में प्रियतम यादों का कोलाहल होता रहता मन में ही हरदम और प्रतिक्षा कितना कर लूं कितना तुम तड़पाओगे कब तुम मिलने,,,,,, सांसों पर एक नाम है तेरा आंखों में बस…
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फरियादी …
अभी चार साल पहले ही तो नौकरी लगी थी निर्मल की, सरकारी महकमे में और क्या चाहिए। एक दिन निर्मल के हाथ पर हल्की सी चोट आ जाने की वजह से वो कंप्यूटर पर काम नहीं कर पा रहा था। तो निर्मल ने अपनें बड़े साहब को कॉल किया और कहा की सर मुझे दो दिन की छुट्टी चाहिए। साहब ने पूछा क्यों ? क्या हुआ तुम्हें ! हुआ तो…
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वो कौन थी …
कोसती थी भाग्य को रोती थी दुर्भाग्य को टूटती थी बिखरती थी उफनती थी सिमटती थी वेदना चुपचाप सहती, मगर वो कुछ भी न कहती… हाय रे, विडंबना भंग हुई साधना, जो अभी नहीं मिला, उसके पीछे भागना, उसकी मंजिल उस तरफ, नदी दुःख की बीच बहती। मगर ….. वो कौन थी वो किसकी थी वो किसके लिए आयी ये तय ही कर न…
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सांसों का क्या है ….
विश्वास की सीढ़ियां चढ़ पहुंचने की कोशिश रही अविश्वास के धक्के से फिसल फिर वहीं वापसी रही गढ़ता वही है जो चुनौतियों को गले लगाता साहब पुरजोर गुफ्तगू आंसू और लहू में आपसी रही! ©लता प्रासर, पटना, बिहार …
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देवी स्तुति …
सृजनकारी, शक्तिकारिणी स्वरूपा जय मां भवानी की, माता के नौ स्वरूपो की वंदना जय मां भगवती की। योगकारी, साधनाकारिणी स्वरूपा जय मां शैलपुत्री की। तपस्कारी, ब्रह्मचारिणी स्वरूपा जय मां ब्रह्मचारिणी की। साधककारी बाधाहरिणी स्वरूपा जय मां चंद्रघंटा की। तेजकारी, ऊर्जाकारिणी स्वरूपा जय मां कुंडमाडा की। मोक्षकारी, सुखकारिणी स्वरूपा जय मां स्कंदमाता की। आज्ञाकारी, शक्तिकारिणी स्वरूपा जय मां कात्यानी की। ब्रह्ममाँण्डकारी,…
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बछड़े की व्यथा ….
तड़प तड़प के मरता बछड़ा धरती मां से बोला हे ! मां ये असहनीय पीड़ा अब सही नहीं जाती, तू क्यों ? नहीं मेरे लिए भी गऊ दान करवाती। देखकर बछड़े की पीड़ा को धरती मां बोली मेरे पुत्र मेरे बस में होता तो मैं तुझे अभी नया जीवन दान दे देती पर यह मेरे भी बस में नहीं है।मैं केवल तेरा कुछ कष्ट कम करने की कोशिश कर सकती…
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इश्क़ की बातें …
तू समझता रहा जिसे झूठी बातें, मैंने दर्द में काटी,जग जग राते। तड़पते बचपन की अनकही बाते, एक माँ की आँखों की बरसाते। तू कहता रहा इश्क़ की बाते, इश्क़ जी कर थी अश्क बरसाते। इश्क़ कब तोलता है सच और झूठ, ये इश्क़ हैं या मोलभाव की बाते। इश्क़ तेरा केवल मुकम्मल मिलने से, मैंने तो रूह से रूह की करी मुलाकाते। झूठ का…
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हार और जीत …
लघु कथा अरी सुमन सवेरे से अखबार में घुसी हुई है। आज चाय नाश्ता भी करवाएगी या दोपहर में भी भूखा सोना पड़ेगा,सुमन नहीं काकी जी आप भी ना कैसी बातें करती हो, चाय नाश्ता अभी आपके कमरे में लेकर ही आ रही थी। लेकिन सोचा एक नजर आज के अखबार पर भी डाल लू,काकी क्यों ? आज के अखबार में ऐसा क्या खास है । सुमन खास ही…
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हुकम का यक्का …
(लघुकथा ) तीन भाइयों में उसे ही ताश खेलनी आती थी और उसने रिश्तों की बाज़ी लगाई। बेगम का वह लाड़ला था। बेगम बादशाह की प्रिय। जो बेगम को पसंद होगा वह बादशाह को पसंद करना ही होगा। यह क़ानून है। उसने वज़ीर बन कर सारा राजपाट लूट लिया। बादशाह की सारी शक्तियाँ छीन ली। परंतु बादशाह को गद्दी से नहीं हटाया। दोनों भाई, रिश्तेदार, सारी प्रजा बादशाह…
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ताज …
बेटी एक प्रेम और लक्ष्मी के सिंघासन पर बैठाई गयी एक देवी है ,माता पिता भी बेटी के हाथ जल्दी पीले करने की सोचते रहते हैं ,क्योंकि उन्हें डर रहता है की समाज की तीखी जवा़न या भूखी नजरें उनकी बेटी पर हमला न कर दे । लेकिन बेटी के भी अपने दायरे होने चाहिए ये भी जरुरी है उसका अपना भी स्वाभिमान होना चाहिए कि कोई मुझसे गलत…
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भारत के विभिन्न स्कूलों में फालुन दाफा अभ्यास का परिचय, जानिये कैसे फालुन दाफा स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य और शैक्षणिक परिणामों मदद कर रहा है ….
फालुन दाफा, जो सौम्य अभ्यास और ध्यान की पद्धति है, भारत के विभिन्न स्कूलों में लोकप्रिय हो रही है। भारत में स्कूलों के साथ फालुन दाफा का जुड़ाव वर्ष 2000 से है, जब इसे पहली बार बैंगलोर के एक स्कूल में सिखाया गया था। तब से, इसे पूरे भारत के सैकड़ों स्कूलों में सिखाया जा चुका है। जबकि छात्र फालुन दाफा का अभ्यास आनंद के साथ करते हैं, शिक्षक छात्रों…
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आज फिर से …
आज फिर से…. एक बेटी अंकिता उत्तराखंड से दरिंदगी की शिकार हो गयी और तमाशबीन फिर दो चार आँसू बहा नारे लगा चुप हो जायेंगे आखि कब तक..? आरोपी निर्भया के भी फांसी पर लटकाये गये और हैदराबाद की पीडिता के भी एनकाउंटर किये गये पर नहीं थमा यह दरिंदगी का दौर आखिर कब तक..? आखिर कब तक समाज इन घिनौने अपराधों को यूंं देख निर्निमेष अश्रु बहाता रहेगा…
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राह पकड़ अब प्रेम की तू …
हे पथिक, जो तू अडिग है, मस्त चाल चलने वाला , हर पथ ही तुझे भाएगा , मस्त रहेगा तू मतवाला | लाख विपदा सर पटक ले , पर तू न हटना पीछे , चल चला चल तू अपनी राह , लक्ष्य पायेगा तू मतवाला | अंतस भ्रमण को तू निकला , नशा ज्ञान का पीने वाला , राह पकड़ अब सद्गुरु की तू , मग्न होगा तू भोला भाला…
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दिलरुवा अब नकाब दे दो तुम …
गज़ल उन पलो का हिसाब दे दो तुम, उस वफ़ा का जवाब दे दो तुम। साथ तुम जो न दे सके मेरा, अब सजा लाजवाब दे दो तुम। वो गुलो से भरी मुहब्बत थी, आज सूखा गुलाब दे दो तुम। चांद थे यूँ कभी तुम्हारे हम, फिर नया सा खिताब दे दो तुम। वो नज़र ढूढ़ती हमे थी बस, दिलरुवा अब नकाब दे दो तुम…
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अव्यक्त अनुभव ; आकाश …
सुनो, क्यों गुमसुम से रहते हो? इसीलिए न कि कोई समझता नहीं, फिर तुम समझाते समझाते मौन हो गए हो, प्रण कर लिया है न कि नहीं बोलोगे? दिल के बंद दरवाजे को नहीं खोलोगे। क्या मेरा अनुभव पर्याप्त नहीं? सच तो ये है कि मैं तुम्हें सुनती हूं, तुम्हारा विशाल अस्तित्व जिसका न कोई आदि और अंत, जैसे जंतर-मंतर भुलभुलैया। तुममें खुद को खोती हूं, मन के…
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शिक्षक दिवस पर मेरी भावाभिव्यक्ति …..
सह्रदय नमन आज मैं करती आभार गुरुओं का मन में धरती ज़िन्होने सजाया, संवारा मन से मेरे जीवन का कल और आज़ वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षक बनने की बात हो तो युवाओं की पसंद में यह बहुत नीचे चला जाता है। आर्थिक दृष्टि से भी इसके आकर्षक नहीं होने से इसके प्रति युवाओं का मोहभंग हुआ है। कई बार शिक्षकों के प्रति आचरण भी एक मुख्य मुद्दा रहा…
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लकीर ….
(लघुकथा) मेरे बेटे का दाख़िला कनाडा के कॉलेज में हुआ। जब मैंने अपनी बहन को बताया तो उसके चेहरे का रंग उड़ता मैंने खुद देखा। उसकी बेटी यूपीएसई की तैयारी कर रही थी। मेरे बेटे के विदेश जाने के बाद तो उसने यहाँ तक कहा -“उसे वापस बुला लो। वह भी यहाँ पेपर दे। कितना मुश्किल है यह पढ़ाई करना।” मैं चुप रही। वह मेरे घर आई हुई थी।…
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एक पाती ….
नो लौट के आ जाओ वापस फिर एक बार, मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है सुनना है, रूठ के दूर तुम ऐसे कैसे चले गये, हमें तुम्हें एक दूजे के दिल में रहना है। कुछ तो दोनों के बीच में अभी बाकी है, आधा अधूरा सा वो ख्वाब है जो अभी, अबकी बार वो सब मुझे पूरा करना है, मेरे इस दिल को भी तसल्ली मिलेगी तभी। …
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ताज ….
बेटी एक प्रेम और लक्ष्मी के सिंघासन पर बैठाई गयी एक देवी है ,माता पिता भी बेटी के हाथ जल्दी पीले करने की सोचते रहते हैं ,क्योंकि उन्हें डर रहता है की समाज की तीखी जवा़न या भूखी नजरें उनकी बेटी पर हमला न कर दे । लेकिन बेटी के भी अपने दायरे होने चाहिए ये भी जरुरी है उसका अपना भी स्वाभिमान होना चाहिए कि कोई मुझसे गलत…