
नर्मदा परिक्रमा का दक्षिण व उत्तर तट का मार्ग जो परिक्रमा वासियों के लिए सुगम है ….
नर्मदा परिक्रमा भाग-45
अक्षय नामदेव। जब मैं मेरी मेरी नर्मदा परिक्रमा का यात्रा वृतांत लिख रहा हूं तो अनेक नर्मदा भक्तों ने मुझे फोन कर व्यक्तिगत रूप से आग्रह किया है कि मैं नर्मदा परिक्रमा का मार्ग विवरण लिखूं। सभी नर्मदा भक्तों एवं मित्रों के आग्रह पर मैं वाहन द्वारा परिक्रमा मार्ग का विवरण दे रहा हूं जो नए परिक्रमा वासियों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा??
?नर्मदा परिक्रमा दक्षिण तट मार्ग (वाहन द्वारा)?
परिक्रमा प्रारंभ माई की बगिया अमरकंटक ➡️ नर्मदा उद्गम अमरकंटक➡️ करंजिया➡️ गोरखपुर ➡️ गाड़ासरई➡️ डिंडोरी कुरकुरा मठ➡️ मोहगांव➡️ रामनगर➡️ पद्मिनी चौराहा➡️ महाराजपुर➡️ घंसौर➡️ लखनादौन➡️ मुंगवानी➡️ नरसिंहपुर➡️ बरमान घाट➡️ पिपरिया➡️ होशंगाबाद ➡️ हरदा (हंडिया मां नर्मदा जी का नाभि स्थान)➡️ हरसूद ➡️ खंडवा ममलेश्वर (ओम कालेश्वर)➡️ खरगोन➡️ जुलवानिया➡️ सेंधवा➡️ खेतिया➡️ शहादा➡️ तालौंदा➡️ प्रकाशा➡️ सागवाड़ा➡️ डेडियापाडा➡️ राजपीपला➡️ मणिनागेश्वर ➡️ सगड़िया➡️ अंकलेश्वर➡️ हांसोट बुलबुलाकुंड➡️ कोटेश्वर ( कटपोर) ➡️ विमलेश्वर तीर्थ।
विमलेश्वर दक्षिण तट मार्ग का अंतिम पड़ाव है यहां ग्राम कटपोर से नाव द्वारा रेवा सागर संगम जिसे रत्नासागर भी कहते हैं अर्थात अरब सागर पारकर मीठीतलाई अर्थात उत्तर तट उतरते हैं। आपका वाहन अंकलेश्वर एवं भरूच के बीच बने गोल्डन ब्रिज से ड्राइवर पार ले जाएगा
साइकिल,मोटरसाइकिल स्कूटर नाव से भी पार हो जाती है। पुल से पार करने के लिए वहां प्रोफेशनल ड्राइवर भी मिल जाते हैं। कोई समस्या नहीं होती।
नर्मदा परिक्रमा उत्तर तट मार्ग ( वाहन द्वारा) रेवा सागर संगम अर्थात अरब सागर पार करने के बाद आप मीठी तलाई में नाव से उतरते हैं। आपकी नर्मदा परिक्रमा उत्तर तट मीठी तलाई से शुरू होती है।
मीठी तलाई➡️ अमखेड़ा➡️ भरूच➡️ कंजड़➡️ दभोई (चांडीह)➡️ छोटा उदयपुर➡️ अलीराजपुर➡️ कूक्षी➡️ मनावर➡️ खलघाट➡️ धामनोद (महेश्वर)➡️ नेमावर➡️ महू➡️ इंदौर➡️ उज्जैन ➡️ देवास➡️ भोपाल➡️ अब्दुल्लागंज➡️ बरेली➡️ तेंदूखेड़ा➡️ तिलवारा घाट➡️ जबलपुर➡️ भेड़ाघाट➡️ ग्वारीघाट➡️ जिलहरी घाट➡️ निवास ➡️ शहपुरा➡️ जोगी टिकरिया (डिंडोरी)➡️ दमहेड़ी➡️ हर्रा टोला ➡️ सांधा तिराहा (राजेंद्र ग्राम)➡️ पोड़की➡️ अमरकंटक रामघाट➡️ माई की बगिया अमरकंटक➡️ नर्मदा कुंड अमरकंटक पहुंचकर आपकी परिक्रमा पूर्ण हुई। आपको माई की बगिया में जो नर्मदा जल मिलता है उसे निकट भविष्य में ओमकारेश्वर महादेव में जाकर चढ़ाना होता है। (परिक्रमा पथ में इंदौर भोपाल नरसिंहपुर जैसे शहर के बाहर बाहर आपको जाना पड़ता है। इन शहरों के नाम प्रतीकात्मक रूप से लिखें हुए हैं।
नर्मदा परिक्रमा के आवश्यक नियम
- 1 परिक्रमा वासी ध्यान रखें। मां नर्मदा की परिक्रमा करते समय मां नर्मदा आपके दाई हाथ की ओर होना चाहिए तथा मार्ग में आप नर्मदा को पार ना करें अन्यथा आप की परिक्रमा खंडित हो जाएगी। परिक्रमा मार्ग में भ्रम होने पर ज्यादा अच्छा होगा आप रुक कर किसी से मार्गदर्शन ले लेवें। वहां मार्ग में आपको जो भी सज्जन मिलते हैं वह परिक्रमा वासियों का भरपूर मार्गदर्शन करते हैं।
- 2 परिक्रमा वासियों को मां नर्मदा की छोटी प्रतिमा, गणेशजी की प्रतिमा, शिवलिंग, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दीपदान हेतु दीपक एवं घी, तेल एवं बाती के अलावा ओढ़ने बिछाने के लिए चद्दर, कंबल रखना चाहिए। पहनने के कपड़े भी कम ही रखें।
- 3 मां नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ करते समय नर्मदा पूजन कन्या भोजन इत्यादि कराना चाहिए।
- 4 परिक्रमा वासियों को सत्य ब्रह्मचर्य व्रत का पालन, पंच केस बढ़ाना, व्यर्थ वाद विवाद से बचना, भूमि शयन करना सामान्य नियम है। सामान का बोझ कम होना चाहिए। बहुमूल्य वस्तुएं नहीं रखना चाहिए। कुछ आवश्यक दवाइयां जरूर रखना चाहिए। वैसे तो अधिक धन नहीं रखना चाहिए परंतु यदि आप सक्षम है तो ज्यादा से ज्यादा मात्रा में धन रख लेवे क्योंकि मार्ग में इतने पैदल परिक्रमा वासी मिलते हैं कि आप उनकी सेवा करके अपना जीवन सफल बना सकते हैं। पैदल परिक्रमा वासियों की अन्न सेवा, धन सेवा करना पुण्य कार्य है। यकीन मानिए इस सेवा कार्य से मां नर्मदा से आपकी नजदीकी बढ़ेगीं। मां नर्मदा की परिक्रमा में धन कोई विषय नहीं है क्योंकि परिक्रमा वासियों के सुरक्षा एवं भोजन का प्रबंध मां नर्मदा स्वयं करती है। निश्चिंत रहकर परिक्रमा कीजिए मां आपकी सब व्यवस्था करेंगीं। मां नर्मदा की परिक्रमा के दौरान सुबह शाम मां नर्मदा में नित्य स्नान करने के बाद मां नर्मदा की पूजन आरती, भजन कीर्तन आवश्यक रूप से करना चाहिए। नियम तो बहुत है परंतु सांसारिक व्यक्ति परिक्रमा के सभी नियम का पालन नहीं कर सकते अतः अहंकार का त्याग करते हुए मां नर्मदा से क्षमा याचना करते हुए परिक्रमा करना चाहिए। परिक्रमा के और अधिक गूढ़ नियम समझने के लिए नर्मदा तट के साधु महात्माओं एवं ज्ञानी ध्यानियों के साथ सत्संग करना चाहिए। नर्मदा नदी में परिक्रमा पथ पर अनेक बांध के निर्माण होने के कारण कई बार परिक्रमा के दौरान मार्ग भ्रमकी स्थिति होने पर किसी स्थानीय व्यक्ति से मार्गदर्शन ले लेना चाहिए।पैदल परिक्रमा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है जिसके लिए परिक्रमा शुरू करने के पहले नर्मदा परिक्रमा विषय विशेषज्ञों से सलाह अवश्य करनी चाहिए।
हर हर नर्मदे
क्रमशः