लेखक की कलम से

लिव इन या विवाह,एक यक्ष प्रश्न आज का ….

 

एक पत्र बेटियों के नाम…

 

प्यारी बेटियों

 

मां-बाप का तुम कहना मानो, उनकी तो तुम जान हो,

कोई दूजा तुमको ना समझेगा, उनके लिए तुम सिर्फ सामान हो।

 

बहकावे में तुम मत आना, ये तो बस एक छलावा है,

परिवार ही बस शुभचिंतक तुम्हारा, बाकी हर चीज दिखावा है।

 

अपनी अस्मत आप बचाना, छठी इंद्रिय तुम खोलो,

नहीं भरोसा अजनबी पर करना, ना सुनो उसकी ना तुम बोलो।

 

कितने ही दानव यहां पर, भेष बदल गुजरते हैं,

कितनी ही बेटियां यहां पर भरोसा करके मरती हैं।

 

स्वतंत्रता के मायने लिव इन नहीं, इतना अब तो जान लो,

क्या है भला और क्या है बुरा, समय रहते पहचान लो।

 

विवाह ही एक सच्चा सौदा, इतना अब तुम ध्यान धरो,

मां बाप तुम्हारा भला ही  चाहेंगे, इतना मन में विश्वास करो।

 

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश                                

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