लेखक की कलम से

साक्षात्कार ….

 

आज हुआ स्वयं से साक्षात्कार

ढूंढती थी मैं जिसको–

वो मेरे अंदर ही तो है।

स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार!

 

संसार में रहकर खोजती थी जिसको

वो मेरे अंदर ही तो है–

हाँ मेरा आत्मविश्वास।

स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार!

 

कोई सहारा दे मुझको नज़रे ढूंढती

वो मेरे अंदर ही समाया–

हाँ मेरा दृढ़ संकल्प ।

स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार !

 

उच्चतर की चाह रख देख रही आकाश

वही उज्जवलता से सराबोर–

हाँ मेरा श्रेष्ठ विचार।

स्वयं से हुआ आज मेरा साक्षात्कार!

 

संसार में भटक रही थी

स्वयं को खोजने निकली–

आज स्वयं से परिचय मेरा।

आज हुआ स्वयं से मेरा साक्षात्कार !!

 

©अनिता शर्मा, झाँसी                    

Back to top button