लेखक की कलम से

प्यार का नशा ….

आदमी का अलग-अलग चेहरा,

बे-वफ़ा और बा-वफ़ा देखा,

 

देख के आज वक़्त की सूरत,

फिर कई बार आइना देखा,

 

इश्क़ में एक हादसा देखा,

चढ़ गया प्यार का नशा देखा,

 

धर्म क्या चीज है इसे समझो,

राम देखा वहीं ख़ुदा देखा,

 

बात कैसी रही मुहब्बत की,

वस्ल की रात फासला देखा,

 

हमने  देखा  उसे  सफल  होते,

ख़्वाब जिसने बहुत बड़ा देखा,

 

शहर की भीड़ में कहीं अस्मिताने,

एक चेहरा गुलाब सा देखा।

 

©अस्मिता पटेल, बिरगंज, नेपाल        
Back to top button