लेखक की कलम से

नये….. साल में…

 

नये साल में जिंदगी के नये तरीक़े इजाद कीजिए।

दूसरों पर रखीं उम्मीदें समेट कर खुद पर उम्मीद कीजिए।

 

 

नये साल में जिंदगी के नये तरीक़े इजाद  कीजिए।

एक -एक ग्यारह जरूर होते है।

एक बनकर अपनी कीमत की पहचान कीजिए।

 

गलत -गलत…… गलत का ।

जब शोर मचा हो।

मैं सही हूँ…… इस बात पर हमेशा गौर कीजिए।

 

नये साल में जिंदगी के नये  तरीक़े इजाद कीजिए।

उम्मीदें जब टूटती हैं जिंदगी जब बिखरती हैं।

उन सभी उम्मीदों को फिर से जोड़ने का काम कीजिए।

 

नये साल में जिंदगी के नये  तरीक़े इजाद कीजिए।

आप…… जिंदा हो यह बात कबूल कीजिए।

अपने टूटे हुए टुकड़ों से सपनों का नया ढांचा तैयार कीजिए।

 

अकेले तुम ही लड़ोगे।

राह में साथ कुछ पल ही मिलेंगे।

जिंदगी की लड़ाई के लिए खुद को हिम्मत से तैयार कीजिए।

हर साल नये साल आते रहेगें तुम हर साल में नया शाहकार इजाद कीजिए।

 

©प्रीति शर्मा, सोलन हिमाचल प्रदेश                                              

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