लेखक की कलम से
प्यार का आधार…


आपके प्यार का आधार लिए बैठे, हैं
आ भी जाओ दिल-ए- बेज़ार लिए बैठे हैं।
यह मेरा हौसला है मेरा तकल्लुफ हमदम
दिल लगी आपसे हर बार लिए बैठे हैं
मैंने बस आपको चाहा है खता क्या मेरी
आप तो रुखसत ए व्यापार लिए बैठे हैं
आपके पास मेरे दर्द की दवा भी है
आप ही चैन की सरकार लिए बैठे है
अब कहां जाऊं जहां मुझको सुकून मिल पाए
आप ही सब मेरा अधिकार लिए बैठे हैं
©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज