लेखक की कलम से

सफलता ….

 

सफलता की परिभाषा।

यह नहीं………

आप ने जीत ली है दुनियां।

मार कर अनगिनत शत्रुओं को।

विजयी पताका फहरायी हैं।

इतिहास बनाया है ।

जिन लाशों के ढेर पर।

उस सफलता में नहीं शायद ही कोई सच्चाई है।

 

सफलता की परिभाषा।

यह नहीं……..

आप ने ज्ञान की गंगा ।

कहाँ तक बहायी हैं।

अंधविश्वासों की परतें कितनी हटाई है।

अंधकार में रह रही मानवता में ,

ज्ञान की कितनी चाहत जगाई है।

उस ज्ञान को अगर स्वयं ना आत्मसात किया।

महाज्ञानी होने की उपाधि,

किसी काम ना आई हैं।

 

सफलता की परिभाषा।

यह नहीं……..

दुनियां के सबसे अमीर आदमी है।

पैसे से सबकुछ खरीद सकते हैं।

हर ऐशोआराम पा सकते है।

पैसा फैंक कर किसी को भी झुका सकते है।

दुनियां को ऊंगलियों पर नचा सकते हैं।

लेकिन अपने लिए पैसे से ,

मन की शान्ति  पाने की कोई साधना नहीं आई हैं।

 

सफलता की परिभाषा।

यह नहीं……..

आप संसार के सामने सफल  किरदार है।

लेकिन खुद से हारें हुए इंसान हैं।

 

सफलता की परिभाषा

यह है…. आप खुद में कितने आत्सात है।

संसार की सफलता कितना छू पाई है आपको।

आप अपने जीवन में असल सफलता के कितने पास है।

 

©प्रीति शर्मा, सोलन हिमाचल प्रदेश                                              

 

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