लेखक की कलम से

छलकाएँ खुशियों का जाम…

 

नए साल का ये पैगाम

लिखती हूँ सखियों के नाम

आओ मिल संग बैठ विचारें

कैसे बिताएं जीवन की शाम

 

सुबह सबेरे उठकर पहले

कर लें माता पिता प्रणाम

फिर मंदिर मस्जिद हो आएँ

कर आएँ कुछ दुआ सलाम

 

झुग्गी और झोपड़ियों में जो

रहते नन्हीं छोटी जान

कुछ खुशियां उनको भी देकर

लाएं होठों पर मुस्कान

 

जश्न मनाने को देना है

उनको भी कुछ अन्न मिष्टान

और जीवन में खिलने हेतु

देना उन्हें शिक्षा का दान

 

दीन- हीन असहायों के भी

जरूरतों का रखना है ध्यान

माता-पिता संग बड़े बुजुर्गों का

करना हरदम मान – सम्मान

 

जुबां पर हो न शिकवा कोई

रहे न हृदय में कोई गम

आओ कुछ पल साथ बिताएं

छलकाएँ खुशियों का जाम…।।

©विभा देवी, पटना

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