लेखक की कलम से

ज़िंदगी की लय

सूरत तेरी जितनी प्यारी

उतनी सिरत क्यूँ नहीं

एक ही लय पर चलती है

तू थामकर ऊँगली मेरी

आगाज़ तेरा दिलकश था

क्यूँ बिच राह तू बदल गई

सपने दिल में पलते रहे

नैंन कटोरी में जलते रहे

तड़ीत की आहट से तेरी

दिल ही दिल में जलते रहे

चुने थे मैंने आबशार कुछ

खुशियों की सौगात से

धीरे-धीरे बिखरते टूटते

वक्त की शाख से बहते रहे

सूख रही है नदियाँ मेरी

उम्मीदों की अरमानों की

पलट कभी तू पल भर को

कुछ लम्हें दे दे तरन्नूम के

दूर-दूर तक तन्हाँ ज़िस्त है

अश्कों की आँधी में बहती

मेरे मन की हर तमन्ना है

सिरत पर सूरत की नमी दे

मेरा इम्तहान तू यूँ ना ले

©भावना जे. ठाकर

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