लेखक की कलम से

इज़हार-ऐ-मोहब्बत

क्या याद है तुम्हें वो शाम

जो हमने साथ गुज़ारी थी

तुम देख रहे थे मुझे डर डर के

अब देखने की मेरी बारी थी

और मैंने देखा तुम्हें, तुम

देख रहे मुझे, मुस्कुराते रहे

मुझे समझ नहीं थी तब भी

कि हाल-ऐ-दिल कैसे कहे

मेरी इस कश्मकश में आख़िर

तुमने बाज़ी मार ली

और मेरी निगाहों से फिर

बात दिल की जान ली

आज हिम्मत कर के लेकिन

मैं भी इकरार करती हूँ

दुनिया बन गए हो तुम मेरी

मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ

©अंशु पाल, नई दिल्ली

परिचय- हिन्दी व अंग्रेजी में लेखन, पहली किताब My Experiments with Love, पुस्तकें ऐमजॉन पर उपलब्ध, रचनाएं That Indian Girl और कही-अनकही काव्य संग्रह में सम्मिलित।

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