डूबना उसके लिए आसान नहीं होगा …
डूबना उसके लिए आसान नहीं होगा,
जब पैर उसका पानी में फिसला होगा,
एक सिहरन उठी होगी पूरे शरीर में,
ये सिहरन शरीर के असंतुलित होने का परिणाम होगा,
इससे पहले की वह खुद को संतुलित कर पाता वो पानी के साथ बीच बहाव में जा चुका होगा,
किनारे की तलाश में वो बहाव के विपरित अपनी पूरी ताकत झोंक रहा होगा,
एक लंबी सांस लेने के लिए छटपटा रहा होगा,
एक गज ज़मीन पा सकने के लिए वो जाने कैसे तड़प रहा होगा, बेचैन हो रहा होगा ..??
शायद पंख कटे चिड़िया की तरह फड़फड़ा रहा होगा
सारी कवायद असफल महसूस होने के बाद,
पानी के मुसलसल बहाव के सामने उसकी हिम्मत टूट चुकी होगी और अचानक ही उसकी हरकतें शांत होने लगी होंगी,
सांस लेने के अंतिम तड़प से पहले उसके आंखों के सामने से उसका पूरा जीवन गुजरा होगा,
मां का दुलार, दीदी का प्यार , पापा का अनुराग ….
सब कुछ ,
सब कुछ उसकी बंद होती हुई आंखों के सामने से एक धुंधली रेखा सी गुजरी होगी,
खुद को आख़िरी पलों में कोसा भी होगा … लेकिन असहाय होगा,
छोटी सी उमर में देखे उसके ढेरों बड़े सपने, उसके ख्वाब सब कुछ टूटते सांसों की डोर के साथ टूटते जा रहें होंगे,
जीने का एक अंतिम अवसर उसने उस अज्ञात सत्ता, उस क्रूर ईश्वर से भी मांगा होगा ,
ये सोचकर की कुछ चमत्कार होगा; वो सामने खड़ी मौत से कुछ देर और लड़ा होगा,
…… ईश्वर कितना करुणानिधान है ईश्वर कितना शरणागत है आज उसने भी बता दिया था, इस बार कोई नारायण नहीं आने वाला……
उस अस्तित्वहीन ईश्वर पर से विश्वास टूटने के साथ ही उसके सांसों की अंतिम डोर भी टूट गयी होगी
शरीर शिथिल पड़ गया होगा
चेतना शांत हो गयी होगी ……
पानी का बहाव भी कुछ पल के लिए रुक सा गया होगा
बाहर निकलने का रास्ता उसके लिए अब आसान होगा
अब वह आसानी से किसी अज्ञात धुंध में जा रहा होगा
लेकिन मुझे लगता है,
डूबना उसके लिए आसान नहीं होगा…..
©रमन सिंह, नई दिल्ली