लेखक की कलम से

नूतन वर्ष का अभिनन्दन …

प्रकृति के कण-कण को हार्दिक शुभकामनाएँ।

नववर्ष मंगलमय हो ।

शुभ,प्रकाशमयी,प्रफुल्लित उत्सव हो।

मंजिलें हो, हौसले हो और नये लक्ष्य हो।

नवीन वर्ष में रंगो की फुहार हो।

रक्षाबंधन और दीप जैसे भी त्यौहार हो।

मौसम परिवर्तनशील हो।

ग्रीष्म, पतझड़ी,शरद,बसंती

सावन में खुशियों की बरसात हो ।

कभी लगे कि “प्रियतम” भी साथ हो।

दोस्त और दुश्मनी में मजहब न हो ।

सामाजिक बुराइयों का नाश हो ।

मातम तो होगा, आंधियाँ भी आयेगी ,

छाले पड़ जायेंगे पर पगड़ंड़ियाँ रह जायेंगी।

सत्यम शिवम सुन्दरम्

पथिक तुझे अहसास हो ।

नवीन क्षितिज की तुझे तलाश हो

समृद्धि के नवद्वार खुले ,

इंद्रधनुषी रंगों से नववर्ष की शुरुआत हो।

महकती पवन को आमन्त्रण ,

हँसते जख्मों को अलविदा ।

नववर्ष में  नई बहारें तुम्हारे साथ हो।

उमड़ती उमंगों को वक्त का अंदाजा हो ।

लौटकर फिर वक्त आता नहीं

सफलता का आधार तुम्हारे साथ हो।

©आरीनिता पांचाल, कोटा, राजस्थान

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