लेखक की कलम से

ज़मीर में सलामत मुआमला रखिए

गज़ल

हर रिश्ते में थोड़ा फासला रखिए

अभी से ही सही ये फैसला रखिए 

 

दूरियाँ खलेंगी लेकिन  खिलेंगी भी

अपने अहसासों पर हौसला रखिए

 

हर कोई तो ख़ुशी  का कायल नहीं

हर घडी कोई नया मसअला रखिए 

 

सीख जाएँगें दिल बहलाने का हुनर

हर मौसम में ही नया जुमला रखिए

 

तय हो जाएँगी ऐसे हर कठिन डगर 

ज़मीर में सलामत  मुआमला रखिए

©सलिल सरोज, कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, नई दिल्ली

प्रारंभिक शिक्षा: सैनिक स्कूल में, उच्च शिक्षा: जीडी कॉलेज, बेगूसराय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से रूसी भाषा में स्नातक और तुर्की भाषा में एक साल का कोर्स, व्यवसाय:कार्यालय महानिदेशक लेखापरीक्षा, वैज्ञानिक विभाग, नई दिल्ली में सीनियर ऑडिटर के पद पर 2014 से कार्यरत। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता कहानी व्यंग्य प्रकाशित। चार किताबों पर लेखन का कार्य प्रगति पर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button