लेखक की कलम से
असफल प्रयास
मैं प्रयास हूँ
पर असफल ही सही
माना मैं हिम्मत भरा कदम सही
पर सफलता की चाभी नहीं ।।
तुम आशाओं से भरे ख्वाब मन में हो सजाते तब ही सफलता कि चाह में
तुम हर रोज दुनिया से
हो लड़ पाते ।।
सफलता की खोज़ में
तुम एक मुसाफिर हो
और सफलता की खोज में
मैं तुम्हारा एक लोता साथी हूँ ।।
मेरे असफल होने पर तुम
खुद को ना कोशो
दुबारा एक सफल प्रयास
करने से खुद को ना रोको ।।
मुझ को तुम मसाल बनाकर
फिर से उस अंधेरे में कुद पड़ो
माना पहले अंधेरा था
अब बंद मुठी में
मैं तुम्हारा प्रकाश हूँ ।।
सफर लंबा हैं और राह मुश्किल
इस मुश्किल हालात में भी
मैं तुम्हारा साथी हूँ ।।
©राहुल सिंह, आसनसोल बंगाल