लेखक की कलम से
तुम्हें साजन बताया करूँगी….
सुनो फागुन आ रहा है..
तुम भी चले आना ..
कुछ काँच की चूड़ीयाँ ले आना,
पहन के सज जाया करूँगी…
भर मोहल्ले खनखाया करूँगी.
बूँद दो बूँद रंग लाल से मुट्ठी भर लाना.
कभी मस्तक.. कभी माँग सजाया करूँगी,
तुम्हें साजन बताया करूँगी….
©मंजू चौहान, नासिक