लेखक की कलम से
राम …
राम धर्म ही नहीं,
प्रेम प्रतिमान भी ।
शील त्याग नैतिकता,
करुणा के धाम भी ।।
मंदिरों के श्लोक
मस्जिदों के हैं अजान भी ..।
ज्ञानियों के शबद और
गीता का ज्ञान भी ..।।
राम तो बसे हुए,
प्राणी तेरे प्राण में ..।
ढूंढ़ता तू फिर रहा,
है कहां जहान में ..।।
राम नाम गूंज से,
गूंजे अष्टो याम है ..।
साक्ष्य, इतिवृत का,
आज अवध ग्राम है..।।
राम के चरित्र को,
गुन सकें मनुज यदि..।
कह सकेंगे गर्व से,
हम भारती की आन हैं..।।
©रेणु बाजपेयी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़