लेखक की कलम से

योजना कैंडिड टॉक शो में पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा : कहा- शादी से पहले मैं पत्नी पर लिखता था हास्य-व्यंग्य तब पिता ने कहा था नहीं होगी तुम्हारी शादी …

नई दिल्ली । टेन न्यूज लाइव टीवी चैनल के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘योजना कैंडिड टॉक शो” में जाने-माने अंतर्राष्ट्रीय कवि, लेखक, हास्य सम्राट, पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन जर्मनी निवासी योजना साह जैन ने किया। योजना हेल्थप्रेक्ष नामक एक हेल्थकेयर कम्पनी की संस्थापक और सी.ई.ओ हैं। वे लेखिका और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवियत्री हैं। उनकी संचालन शैली ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। सुरेंद्र जी के साथ हुई इस बेबाक़ बातचीत के कुछ अंश:

बचपन में सुरेंद्र शर्मा कैसे थे?

सुरेंद्र शर्मा ने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि बचपन में मुझे मेरा गांव सबसे प्रिय था। 4 साल तक मैं गांव में रहा। उसके बाद पिताजी शहर आ गए और यहां पर उन्होंने आयुर्वेदिक दवाइयों के उत्पादन का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी आयुर्वेद में आचार्य थे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से और गांव में भी दवाइयों का कारखाना खोल रखा था।

नहीं बैठा कभी खाली

उन्होंने बताया कि बचपन में कभी उनके पिताजी ने उन्हें खाली नहीं बैठने दिया। 10 साल की उम्र में स्कूल के बाद पिताजी फैक्ट्री बुला लेते थे और मैं वहां तमाम तरह के कार्य करता था। वे कभी मुझे खाली नहीं बैठना देना चाहते थे। पिताजी की यही आदत अब मुझे भी लग गई है, मैं भी कभी खाली नहीं बैठ सकता, कुछ ना कुछ करने के लिए चाहिए।

उन्होंने बताया कि मुझे खेलने कूदने का शौक नहीं था। उन्हें पतंग लूटना और उड़ाना बेहद पसंद था। हालांकि उसके चलते एक दो बार पिटाई हुई, तो वह भी छूट गया। उन्होंने बताया कि जब वह श्री राम कॉलेज में पढ़ते थे तो उनके दोस्तों का एक ग्रुप था जिसमें अक्सर हंसी मजाक चलता रहता था। उनका कहना है कि हंसने का अधिकार उसी को है जो अपने ऊपर हास्य झेल सकता है। काॅलेज से हास्य कलाकारी का कीडा उभरना शुरू हुआ।

आप कवि कैसे बने? और ज़्यादातर आप पत्नी पे ही क्यों लिखते हैं?

उन्होंने बताया कि शादी से पहले ही वह काल्पनिक पत्नी पर कविता लिखना शुरु कर चुके थे। पत्नी पर हास्य व्यंग्य बनाते थे। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी अक्सर कहा करते थे कि जिस तरह की तुम कविताएं लिखते तो तुम्हारी शादी नहीं होने वाली। इसी तरह सुरेंद्र शर्मा से अपने जीवन से जुडे कई किस्से साझा किए। उन्होंने कहा कि मैं सभी माता-पिता उसे कहना चाहूंगा कि अपने बच्चे को इस लायक मत बनाओ कि वह किसी लायक ही ना रहे। अपने बच्चे को बड़ा मत बनाओ, बड़ा आदमी बनाओ। सबसे बड़ी बात तो है आज कोरोना में हम अपनी अलमारी खोलते हैं, तो देखते हैं कि हमने कितनी फिजूलखर्ची की है। तमाम तरह के कपड़े खरीद लिए, पहले यह कपड़े कम लगते थे, लेकिन अब यह सब फिजूलखर्ची लगता है।

ऐसा बनो कि ईश्वर तुम पर भरोसा करे

उन्होंने कहा कि मैं हमेशा लोगों से कहता हूं कि ईश्वर पर भरोसा मत रखो। इस लायक बनो कि ईश्वर तुम पर भरोसा करें। हमेशा बढ़ावा प्रोजेक्ट हाथ में लो। उन्होंने कहा कि मनुष्य ईश्वर की सबसे घटिया कृति है। उसने नदिया, नाली, पोखर, तालाब, जीव, जंतु, पशु, पक्षी, चांद, सूरज सब बनाए। सबने अपना किरदार समझा और उसी हिसाब से कार्य किया। सिर्फ मनुष्य ऐसा है जिसने अपने किरदार के हिसाब से काम नहीं किया। काश मनुष्य भी उस हिसाब से काम करता तो पृथ्वी पर ही स्वर्ग होता, लोग मरने के बाद स्वर्ग नहीं ढूंढते।

उन्होंने कहा कि ईश्वर ने धर्म देश नहीं बनाए थे। ईश्वर ने एक धरती बनाई थी, जिसको मनुष्य ने देश धर्म के आधार पर बांट दिया। जिससे ईश्वर की भावनाओं को चोट पहुंची है। उसने हमें मानव बना कर भेजा था, हम इस धरती पर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के बंटवारे में बैठ गए। उन्होंने कहा कि धर्म को हमें कंधे पर बैठाकर आना चाहिए था, अब हम धर्म के कंधे पर बैठने लगे हैं। यह सबसे बड़ा अपराध है मनुष्य के जीवन का।

राजीव गांधी से रहा मेरा लगाव

उन्होंने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रति मेरा एक खास लगाव रहा। क्योंकि उस व्यक्ति ने स्कूल को ज्ञान से विज्ञान की ओर जोड़ा। अगर उस समय यह कदम नहीं उठाया जाता तो हमारा देश काफी पिछड़ा होता। आज भी कंप्यूटर, टेलीकम्युनिकेशन नहीं होती। इन्हीं की वजह से देश में तरक्की हुई है।

सुरेंद्र ने अपनी बेहद लोकप्रिय कई चार लाइना भी कार्यक्रम के दौरान सुनाईं।

इस दौरान रैपिड फायर राउंड भी हुआ, जिसका नाम था योजना की दो लाइना पे शर्मा जी की चार लाइना। जिसमें कवि सुरेंद्र शर्मा संचालिका योजना के सवालों के जवाब देते हुए दिखे। हाथरस कांड पर बोलते हुए सुरेंद्र शर्मा ने आगे कहा कि इस देश में सोशल मीडिया को बंद कर दिया जाए। जो कि अनैतिक चीजें लोगों तक फैलाता है। जिस देश में मीडिया वाले पहले खबर दिखाते थे, आजकल खबर बनाते हैं। खबर बनाने वाले देश के अंदर बहुत घातक होते हैं। उन्होंने पत्रकारिता छोड़ बेचकारिता शुरू कर दी है।

कोरोना पर उन्होंने कहा कि कोरोना एक बेहद घातक बीमारी है। कोरोना में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होनी चाहिए, फिजिकल डिस्टेंसिंग होनी चाहिए। सरकार ने गलत व्याख्या की है। सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब हमारी संस्कृति से दूर होना है।

कार्यक्रम में जर्मनी के बर्लिन से बैठकर योजना साह जैन ने बेहद बखूबी इस कार्यक्रम का संचालन किया और अपने प्रश्नों के जरिए सुरेंद्र शर्मा की उन बातों को दर्शकों को अवगत कराया, जिन बातों को उनके प्रशंसक जानते ही नहीं थे। योजना की लिखी कविता सुरेंद्र जी ने बहुत पसंद की।

 

ख़्वाब हौसलों से मुकम्मल होते हैं,

और हौसले डर को जीत कर ज़िंदा…

ज़िंदगी का ये फ़लसफ़ा जो समझ गया,

उसने समझो सारे ख़्वाब जी लिए

(योजना साह जैन द्वारा)

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