लेखक की कलम से
जीवन का अधार …
महिला है महती इला ,गढ़ती नव आकार ।
उससे ही संसार का ,बना हुआ आधार ।।1
सतरंगी आभा लिये ,फिरती घर चौबार।
है राग रंग महिला से ,उससे ही त्योहार ।2
लक्ष्मी दुर्गा भारती सब इसके हैं रुप ।
पूजित है संसार में ,इसके विविध स्वरूप ।3
जीवन के हर अर्थ मे ,बनती कविता नार ।
नेह प्रेम मनुहार में , है मीठि कभी सार ।4
आज दिवस विशेष है ,निकले भाव नवीन ।
तनया प्रिया जननी के ,श्रम को मिले जमीन ।।5
©डॉ. सुनीता मिश्रा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़