लेखक की कलम से

मां ऐसी होती है …

हर्ष की हर्षिता मेरे नाम में मां का नाम मुझे पूरा कर जाती है,

देखो मां बस ऐसी होती है ।

बिन बोले समझ जाती है

वो बस मां ही होती हैं

दर्द की मरहम बन जाती हैं

वो बस मां ही होती हैं

खाने की फिक्र करती हैं

वो बस मां जी होती हैं

हमारे आसू को पोंछा करती हैं

वो बस मां जी होती हैं

ख़ुद भी साथ रोटी हैं

वो बस मां जी होती हैं

ज़िंदगी का पहला ज्ञान जो

सीखाती मां ही होती है

पहला कदम जो चलना

सिखाती मां ही होती है

हर परिश्रम में साथ होती हैं

वो सिर्फ मां ही होती हैं

हमारी मुस्कुराहट में साथ हस्ती हैं

वो सिर्फ मां ही होती हैं

मां सिर्फ मां ही होती हैं

भगवान का दूसरा रूप

बस मां ही होती हैं

हमारी ज़िन्दगी बस

मां ही होती हैं

 

© हर्षिता दावर, नई दिल्ली                

Back to top button