लेखक की कलम से
एक वे हैं …
मूल रूप से पंजाबी कविता, रचनाकार- सुरिंदर गीत, अनुवाद : अमरजीत कौंके
एक वे हैं
जिनके
दिल कोमल हैं
लेकिन कठोर हैं पाँव
कँटीले कठिन रास्तों पर
ज़िंदगी का सफर करते हैं
किसी को अपना बनाते हैं
किसी के खुद बन जाते
खुद लहू लुहान होते
लेकिन दूसरों को
जीवन देते हैं
एक वे हैं
जिन के दिल कठोर हैं
पत्थर की तरह
लेकिन पाँव कोमल हैं
पाँव रखने के लिए
नर्म मुलायम जगह ढूँढ़ते
और अंत में
लोगों के दिल पर
पाँव रखते
ज़िंदगी का सफर करते हैं
किसी को
लहू लुहान होता देख
हँसते हँसते
दूर
बहुत दूर
निकल जाते हैं…….
©अमरजीत कौंके, पटियाला