लेखक की कलम से

होली आई …

होली आई होली आई

अपने संग जो रंग लाई है

कभी हरा तो कभी है पीला

कहीं गुलाबी कहीं है नीला

रंगने ओ है जग को आयी

होली आई होली आई…

 

होली हमारी न्यारी न्यारी

और भी लगती प्यारी प्यारी

पर करती इच्छा ये धरा

रहने दो इसे हरा भरा

न करना तुम पानी का खेल

 

नहीं मिलेगा इसका कोई मेल

अगर करोगी पानी बरबाद

ना रहेगी होली की बरसात

होली आई होली आई …

©शमिता सोनवलकर, मुंबई

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