आओ कोरोना दूर भगाते हैं …
जीवन की आपाधापी में कुछ पल ऐसे भी आते हैं ।
जब हम अपनों के साथ बैठकर अपनी बात बताते हैं ।।
सन्नाटे की आहट है ,
कोरोना के भेष में
सावधानी ही बचाव है ,
मेरे इस देश में …
निराशा के तमस चीरकर, आशा के गीत सजाते हैं ।
जब हम अपनों के बीच बैठकर अपनी बात बताते हैं ।।
घर के आदरणीय संग ,
बच्चों का भी ध्यान रखें ..
सात्विक भोजन खाएं
बाहरी खाद्य न चखें ..
मां अन्नपूर्णा का हाथ जोड़कर फास्ट फूड को भगाते हैं ।
जब हम अपनों के बीच बैठकर अपनी बात बताते हैं ।।
शीत, बुखार, खांसी, सिर दर्द
छींक से न घबराओ तुम
जांच कराओ, मास्क पहनो
स्वच्छता अपनाओ तुम …
निज संस्कृति का अभिमान कर, हाथ जोड़ माथ नवाते हैं
जब हम अपनों के बीच बैठकर अपनी बात बताते हैं ।।
कोरोना से न भयभीत हो
हंसी- खुशी समय बिताओ
संग परिवार के हंस मिल
अंताक्षरी संग सुर मिलाओ …
हर युद्ध हंसकर जीते हैं, आओ कोरोना को भगाते हैं ।
जब हम अपनों के बीच बैठकर स्वच्छता अपनाते हैं ।।
आओ कोरोना भगाते हैं ।।
©डॉ. सुनीता मिश्रा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़