लेखक की कलम से

आंखे बोलतीं हैं …

जब आप परेशान हो जाते हैं। किसी की खामोशी से और चाहते हैं कि सामने बैठा हुआ शख्स कुछ बोले, या फिर उसके जेहन में कौन सी बात चल रही है कुछ कहे तो हम समझे। कभी कभी हमारे साथ कुछ ऐसे हालात पैदा हो जाती है

कि चाह कर भी हम कुछ नहीं कर पाते या यूं कहिये सही अल्फाज़ भी हालातों के वजह से गलत साबित हो जाती है। उस वक्त हमारी आंखे अहम किरदार निभाती है बारीकी से हम देखें तो हमारी जुंबा से ज्यादा सच्चाई आंखे कह देती है। कई दफा हमारी जुंबा सच्चाई को बोलने से कतराती है या हिचकिचाती है वो बातें हमारी आंखे बोल जाती है। जुंबा से अपनी अल्फाज़ों का हेरफेर कर सकते है पर आंखे वही कहती है जो सही होता है। आप से जब कोई बात कर रहा होता है तब आप उसकी बातों और आंखो को गौर से देखिए। क्या उसकी बात और आंखो से दोनों का एक ही भाव है या अलग अलग बहरहाल दोनों का तालमेंल एक जैसा ही है तो वह सच कह रहा है। यदि दोनों अलग अलग दिन में है तो वो गलत है। बहरहाल बहुत सारे ऐसे भी शख्स होते है जुंबा से कम आंखो से ज्यादा बोलने की कोशिश करते है। यह एक प्रकृतिक दैन है।क्योंकि आंखे हमारे शरीर का बेशकीमती हिस्सा है। जीस तरह से हमारा दिमाग और दिल है दिमाग फायदा और नुकसान सोचता है और दिल सही गलत को महसूस करता है। ठीक उसी तरह हमारी आंखे और जुंबा का तालमेंल है जुंबा चेहरा और हालात देख कर बाते करता है, और आंखे सच्चाई बयान करती है।

इसके लिए आपको आंखो को बारिकी से पढने की जरूरत है ।और आपको अपने सवालो का जवाब खुद ब खुद मील जाएगें। आईए हम जानते है हमारी आंखे कौन सी बाते कब और क्या कहती है –

   ऊपर की ओर देखना – जब   

कोई भी व्यक्ति आपके पास बैठा हो और ऊपर की ओर देख रहा हो तो इसका मतलब तो यही होगा कि वह कुछ सोच रहा है। या कुछ याद करने की कोशिश कर रहा है यदि उसी दौरान दांए और बाएं बार बार देख रहा हो तो यूं समझीऐ वहां का माहौल का मुयाना कर रहा है।

   सिर नीचे कर के देखना –   

यदि कोई व्यक्ति सिर नीचे कर के अपनी आंखो से पिछे की ओर किसी दूसरे व्यक्ति को देख रहा हो तो आप समझीऐ कि वह उससे नाराज है, या उस व्यक्ति को शक भरी नजरों से देख रहा है या यूं कहिये कि उसे परखने की कोशिश कर रहा है।

    लगातार नीचे जमीन की ओर देखना – :   

जब कोई इंसान आपकी किसी बात या बर्ताव से नजरे नीचे कर के देखे तो वह खुद को कसुरवार ठहराता है या वह आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार है। जबकि लड़कियां ऐसे करतीं हैं तो उसे शर्माना भी कहते हैं।

    बगल में देखना -;    

हमारी आंखे ज्यादा तर सामने देखती है पर जब को बगल में देखने लगे तो इसका मतलब उसे आगे की चीजो से कोई दिलचस्पी नहीं है ये आपको एहसास दिलाने की कोशिश करता है। या उसे किसी बात का डर या खौफ सता रहा है। ऐसा भी हो सकता है वो अपने आस पास की आवाज सुनने की कोशिश कर रहा है ।

    आंखे तिरछी करके देखना -:    

आंखो का पुतली इधर उधर घुमाते हुए देखना एक जगह नजर नहीं ठहरना, इसका मायने तो यही हुआ कि वह शख्स आपसे सफेद झूठ बोल रहा है। या कोई बहुत बना रहा है। या आपके खिलाफ कोई षडयंत्र रच रहा है ।

    “लगातार एक ही जगह को देखना -;   

किसी को भी टकटकी लगा कर देखना। इसका मतलब यह है कि वह उस चीज से प्रभावित है। जब हम किसी को भी टकटकी लगाकर तो उसका भी ध्यान हमारी तरफ जाता है और हम उसी वक्त आंखे फेर लेते है। और हम अपने किए पर शर्मा जाते है। या इसके लिए हम खुद को कसुरवार ठहराते है। इसलिए हमें हमेंशा ध्यान देना चाहिए कि हम किधर देख रहे है। और ऊपर से नीचे तक देखने का मतलब ये भी हो सकता है। वह आदमी अपने को सामने वाले से ताकतवर और बेहतर समझ रहा हो। और कभी कभी ऐसा भी होता है। उसके पास एक से ज्यादा आफशन हो तो वह शख्स आपको परखने का कोशिश कर रहा हो।

   आंखो से पिछा करना -:   

हमारी आंखो की आदत है, अपने आसपास की गतिविधियो, अपने अजीज, प्रिय शख्स या चीज या जिसमें खतरे का आशंका हो उसका पिछा करती है जब तक आंखे सही गलत को जान न ले या उसका सामान वस्तु या कोई अजीज इंसान महफूज, सुरक्षीत न हो जाए ।

   “आंखो में आंखे डाल कर देखना -:   

इसका मतलब तो यही हुआ कि वह दोनों एक दूसरे को जानते है परिचित है और उनके बीच एक मजबूत रिश्ता है, दोनों व्यक्ति एक दूसरे में बराबर दिलचस्पी रखते है। या दोनों खुद अपने आप को अपनी अपनी जगह ताकतवर समझते है।

   “देर तक आंखो में आंखे डालकर देखना -:   

सामान्य से अधिक देर तक एक दूसरे को देखना इसके बहुत सारे मतलब निकल सकते है। यदि हम जब किसी को ध्यान से सुनते है। तो (आई कौंटैक्ट) बढ जाता है। जब हम जिन्हें जानते हैं, पसंद करते हैं। चाहे दोस्त हो या रिश्तेदार या प्रेमी प्रेमिका या तो हमें उनसे अच्छी शिक्षा मिलती है या अपनी खाश मशवरा कर रहे होते है या फिर उसके बातो से हम बेहद प्रभावित है ऐसा भी हो सकता है हम धिरे थिरे हम उसकी ओर आकर्षित हो रहे हो ।

   क्षणिक देखना -:   

इसका मतलब तो यही है वह व्यक्ति खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है या यह भी हो सकता है किसी भी बातों को लेकर वह आपसे पिछा छुड़ाना चाह रहा हो या झुठ बोल रहा हो।

   मनोबल बढाना -:   

कोई आपकी बात ठीक से समझे या आपकी बात माने इसके लिए आई कौंटैक्ट बहुत जरूरी है यदि आप किसी की ओर देख रहे है और वह आपकी तरफ नहीं देख रहा है या कही और देख रहा है तो समझे उसका ध्यान अपनी बातो पर नहीं है यदि आप की बातें सुन भी रहा है तो प्रकाशित पर्सनल कौनटैक्ट की कमी है अर्थात एनर्जी लास करने की कोई आवश्यकता नहीं।

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