लेखक की कलम से

बिठाए हुए पल …

बिताए हुए पल…

समुद्र किनारे बिताया हर पल मुझे तो

हर याद में रह रह कर हर वो अहसास,

अनमोल बन रहा है मेरा इस सफर में

बीता जो समुद्र के साथ उसी के किनारे मेरा।

बिताए हुए पल…

गुनगुनाती हवा में किनारे तक पानी का आना,

देखा मैने उस किनारे को बार बार फिक्र तेरा,

धुंधली सी लहरों में तेरी छवि का उभर आना

किनारे का चुप रहकर तेरी लहरों संग मिल जाना।

बिताए हुए पल…

हाथों से रेत पर नाम लिख कर मैंने भी

मंद मुस्कुरा कर मेरा देखना और फिर

पानी की लहर से मेरा लिखा वो मेरा ही नाम ओझल होना,

वहीं स्तब्ध खड़े मैं देखती रही उसको पानी में मिटते।

बिताए हुए पल…

तेरा वो जादुई सा प्यार किनारे के लिए छू उसको,

अपनी स्मृतियों में कैद कर लेकर आई हूँ मैं साथ,

अपने व्यस्त जीवन में सहज भाव से लौट आना बस मेरा,

ये अंतिम बार जो तुम्हें देखा मैंने, कठिन सा था मेरे लिए।

बिताए हुए पल…

लहरों के यूँ किनारे से बार बार मिलना और बिछुड़ना,

वाह क्या नया सा प्रेम भाव सा मुझमें जगाया हैं तुमने,

मुझे यही लगता रहा प्रकृति ने क्या सुंदर मिलन बनाया,

जीवन से कोई अनमोल वस्तु छूटते समान प्रतीत हुआ है।

बिताए हुए पल…

©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद              

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