लेखक की कलम से

दिमागी किले की अध्यात्मिक सुरक्षाएं …

मैंने सुरक्षाएं शब्द जानबूझकर इस्तेमाल किया है, ताकि आप इसके अलग अलग अर्थों से परिचित हो जांए । जो दिमाग ‘ बचाव की मुद्रा ‘ में हैं वह खुला दिमाग नहीं है । मुमकिन है कि ऐसा दिमाग डरा होने के साथ साथ चिजों की अति और चुनौतियों से मुंह चुराने का आदी भी हो और अपने आंखे कामयाबी के शिखर की तरफ उठाने की हिम्मत ही नही रखता हो । जब मैं अध्यात्मिक सुरक्षाओं की बात करती हूं, तो मेरा मतलब यह नहीं है कि मैं आपकी किसी कमजोरी की बात कर रही हूं उल्टे मैं आपके अंदर ही मौजूद कुछ ऐसे क्षेत्रों की बात कर रही हूं, जहां आप शरण ले सकते हैं ।

जितने भी मैं कामयाब आदमियों को मैं जानती हूं, उन सबने एक अथवा दुसरे तरीके से अपने आपको इन आध्यात्मिक सुरक्षाओं से घेरा हुआ था । मैंने भी इसको आजमा कर देखने के बाद पाया है कि यह बेशकीमती है । आइए देखें कि यह कैसे काम करता है?  मान लिजीऐ, आपका दिमाग एक मध्यकालीन किले जैसा है । इस किले के बीच में एक ऐसी मीनार है जिसको भेद पाना असंभव है । इस मीनार से बाहर की ओर बढ़ते हुए आपको एक दीवार मिलती है । यह दीवार बहुत मजबूत नहीं है इसके बाद फिर बाहर की तरफ बढ़ते हुए और दीवार मिलेगी । यह दीवार सुरक्षा के उद्देश्य से बनाई गई है ।

किले की तरफ आने वाली व्यक्ति को पहले बाहरी दीवार को पार करना होगा । आध्यात्मिक सुरक्षा की यह दीवार बहुत ऊंची नहीं है । अगर किसी के पास आपके दिमाग में प्रवेश करने के लिए ठोस वजहें मौजूद हैं, तो वह इस दीवार को आसानी से लांघ सकता है, लेकिन यदि उसके तर्क कमजोर हैं तो यह दीवार उसको परेशान करेगी । जब आप ऐसी दीवार खड़ी करते हैं, तो दुसरों को भी निश्चय ही इसका पता चलता है और आपको अच्छी खासी सुरक्षा मिल जाती है ।

जो आदमी पहली लाइन को लांघ चुका है, अब उसे दूसरी लाइन से टकराना होगा । इस दीवार को आप कभी रख सकते हैं, तो कभी हटा भी सकते हैं जब आपका दिमाग यह दीवार खड़ी कर लेता है, तो कोई भी व्यक्ति इस दीवार को तब तक नहीं लांघ सकता जब तक या तो उसके और आपके व्यक्तित्व में कोई बड़ी भारी समानता हो या फिर वह उस समय आपको कोई ऐसी बात बताना चाहता हो, जिससे आपको बड़ा भारी फायदा होने वाला हो ।

सबसे अंदर का सुरक्षा कवच सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । इसकी ऊंचाई ज्यादा नहीं है । इसकी ऊंचाई सिर्फ इतनी है कि यह आपको घेर सके, लेकिन जब आपका दिमाग इस मीनार की ओट में छिप जाता है, तब उस पर कोई भी बाहरी चीज असर नहीं डाल सकती । मेरे मामले में सिर्फ विधाता ही मेरे सबसे अंदरूनी आध्यात्मिक कवच को भेद सकता है । आप भी अपने अंदरूनी आध्यात्मिक कवच को ढ़ूंढ़ें । यदि आप इस खोज में सफल हो गए, तो अपने अंदर ही असीम शक्ति के एक स्रोत को पा लेगें । यही वह जगह है, जंहा आपके नितांत निजी विचार बाहर के प्रभावों से अनछुए छिपे पड़े हैं । जब तक आप इस भीतरी किले को नहीं खोज लेगें, अपने इस विचारों  को भी नहीं पहचान पाएंगे । यहीं आप अपनी तमाम समस्याओं की जड़ और उनके हल ढूंढ सकते हैं । जिनसे आप दिन रात परेशान रहते हैं । यदि आपका दिमाग आपके कब्जे में आ चुका है, तो यही वह खाश जगह है जंहा वह मालूम होगा कि क्या किया जा सकता है? और जब आप किले से बाहर निकलेंगे, तो वही होगा और आप उसे करेंगे ।

इस काम के लिए शुरू में आपको किसी बंद कमरे में अकेले बैठने की जरूरत महसूस होगा, ताकि थोड़ी देर के लिए अपने कारोबार और अपने दोस्तों से दूर जा सकें अगर आपको अपनी भीतरी शक्ति को खोजने का पहले से ही काफी अभ्यास है, तब भी अकेले में बैठने का विचार बुरा नहीं हैं क्योंकि आसपास का वातावरण अक्सर शांतिपवुर्क विचार करने में बाधा उत्पन्न करता है ।

इस आॅरटीकल में मैंने जो कुछ भी लिखा है वह सब एक महान रहस्य की ओर बढ़ने का मार्ग है । यह रहस्य इस अध्याय में पुरी तरह आपके सामने है । आप सभी इसका प्रभाव तभी देखेंगे जब अपने मस्तिष्क मे नि:संदेह इसे बैठाने की कोशिश करेंगे, फिर चाह कर भी नही भुल पाएंगे ।

 

©तबस्सुम परवीन, अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़

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