लेखक की कलम से

फ्री की सरकार….

फ्री जो दिया वो, जनता निहारे

आये दुबारा, चमके सितारे

 

बेदाम बिजली, पानी सुहाया

कोई नहीं बिल, देगें बिचारे

 

जीते वही जो, नस में चढ़ाया

फ्री का नशा है, ना वो उतारे

 

तुम भी हमें दो, हम भी तुम्हें दें

दोनों लगायें, नैया किनारे

 

देके तुम्हें कुछ, पैसा बचाया

बारी तुम्हारी, लाओ किनारे

 

वादा निभाया, तुमको उठाया

थे आप के ये, सारे इशारे

 

जब हो घरों में, रोटी न पैसा

भूखे वहाँ बस, रोटी निहारे

 

जो फ्री मिला वो कैसे भुला दें

वादा किया था, देंगे सहारे

©शालिनी शर्मा, गाजियाबाद, उप्र

Back to top button