लेखक की कलम से
वृक्षारोपण …
करनी चिंता अब है जानो ।
वृक्षारोपण महती मानो ।
वसुधा का क्यों ताप बढ़ाएं ।
आओ मिलकर वृक्ष लगाएं ।।१
भली लगे फूलों की ड़ाली ।
दुनिया बसती है हरियाली ।
घर-आंगन अरु कोना-कोना ।
वृक्ष सजे तो दिखता सोणा ।।२
पीर घनेरी ये जो छाई ।
हमने की उसकी पहुनाई ।
प्राणवायु की मारा-मारी ।
देखी जन-जन भय लाचारी ।।३
जीव-जगत सब चीख रहे हैं ।
हम बस फोटो खींच रहे हैं ।
दिवस ‘खास’ कुछ यूं हो जाए ।
हर मौके पर वृक्ष लगाएं ।।४
बहुत हो चुका नारे-वारे ।
फलीभूत अब करना प्यारे ।
टेर लगाओ ,सबको जोड़ो ।
जीवन लय की गतियाँ मोड़ो ।।५
©डॉ. सुनीता मिश्रा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़