लेखक की कलम से
शब्द …
शब्द, शब्द में ब्रह्म बसे
शब्द से उपजे प्यार
शब्द ही घातक करे
शब्द ही देते हैं मार
एक शब्द में मरहम करे
एक शब्द देते हैं घाव
एक शब्द में प्रेम बसे
एक शब्द अलगाव
शब्द सदा ही बोलिये
जो दे प्रेम जगाए
ऐसे शब्द ना बोलिए
जो आपस में घृणा बढ़ाए
शब्द है ईश्वर
शब्द है प्रेम
शब्द ही धर्म
शब्द ही नेम
ईश्वर ने जो शब्द रचा
उसमें था बस प्रेम
मानव ने क्यूँ भर दिया
वैमनस्यता का इसमें गेम।
©सुप्रसन्ना झा, जोधपुर, राजस्थान