लेखक की कलम से
लौट आए …
इस तेज़ रफ़्तार
ज़िंदगी – गाड़ी में
पिछले दिनों
कई बार लगा
उतर गया है
ज़िंदगी का डिब्बा
पटरी से शायद ।
अगला स्टेशन
आए न आए
बीच मझदार
धोखा दे दे
गाड़ी का एक पहिया
या फिर दोनों !
चमत्कार !!!!
धीमे -धीमे
चल पड़ी गाड़ी
अपनी मंज़िल की ओर
और लौट आए हम
सफ़र कैसा भी हो
लौटना ही है
महत्वपूर्ण
©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़