मुद्दतों से चाहत थी …
मुद्दतों से चाहत थी
तुझे पाने की,
अब मिले हो तो
दिल को चैन आया,
मुझको लगता है कि
मुझे मुकद्दर मिल गया,
मेरी चाहत न
होगी कभी कम,
तू जो आया तो
दिल को करार आया,
रंजीशें गम की दूर हुई,
उम्मीदों के लाखों
दिये जलने लगे,
सबनवी शाम हुई,
रात सुहानी हुई,
दिन के उजाले भी
प्यारे लगने लगे,
हर दिन होली,
हर रात दिवाली
लगने लगी,
तुझको भूल जाऊं,
यह मुमकिन नहीं,
साथ जीने मरने
का रिश्ता
जो हमने बना लिया,
गुजारिश है तुमसे
कि भूल जाना
न कभी तुम बेगाने बन,
हम बने हैं बस
एक दूजे के लिए…..।।
ऐ जिन्दगी
ऐ जिंदगी तू,
इतनी बेचैन क्यूँ है,
था जो तेरा नहीं कभी,
उसके लिए इतना,
व्याकुल क्यूँ है,
क्यों मचल रहा,
यह मासूम सा दिल,
उसके लिए,
जो बन गया बेगाना,
पर क्या करूं!
इस दिल का,
यह धड़कन बस,
उसके नाम से है,
ये हवाएं, ये झड़ने,
ये हसीं वादियां,
सब उसके नाम से है,
लिखे गीत जो भी मैंने,
वह सब तो बस,
उसके नाम से है,
है बादलों का समंदर तू,
तेरी एक बूंद की प्यासी मैं,
है साहिल तू मेरा,
हूं मैं दरिया तेरी,
ऐ जिंदगी तू,
इतनी बेचैन क्यूँ है…….।।
©पूनम सिंह, नोएडा, उत्तरप्रदेश