लेखक की कलम से

इश्क करना सिखा गई आँखें …

ख्वाब तेरे दिखा गई आंखें

मेरी नींदें चुरा गई आंखें

 

इश्क में कैसे जीते हैं देखो

सारे लम्हें बता गई आँखें

 

और बातें सुना गई आंखें

यार सपने दिखा गई आँखें

 

इश्क करना सिखा गई आँखें

कितने जलवे दिखा गई आँखें

 

मुझको हंसना सिखा गई आँखें

गम भी कितने छुपा गई आँखें

 

©खुशनुमा हयात, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश 

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