लेखक की कलम से

नारी तोर महिमा महान …

 

नारी तोर महिमा, सहीच म महान हे ।

तभे तोर शक्ति ल, माने भगवान हे।।

 

नाना किसिम के तोर हावय रूप,

तिहि ह सहिथस जिंनगी के धूप।।

 

राम संग रही के, सीताराम बनगेस,

श्याम संग जुड़े त, राधेश्याम बनगेस।

तोर बिन अधूरा, मानों स्वयं भगवान हे—-

 

दाई बनके तेहा, बेटा ल सिरजाए,

नारी बन तेहा ओ, नर ल सिधाए।

 

बहिनी बनके भाई के, भार ल तै बोहे,

बेटी बनके ददा के, प्यार ल तै जोहे।

तोर कोख ले पैदा होथे, लवकुश संतान हे—–

 

बेटी बनके तेहा संस्कार बन जाथस,

बहू बनके जग के व्यवहार बन जाथस।

 

जेन घर म जाथस खुशी संग म लाथस,

जिंहा ले तै जाथस, दुआ देके आथस।।

दया धरम के नारी सौंहत परमान हे—–

 

ते हाबस तभे तो,ये सृष्टि म दम हे।

दूसर ल खुश रखे,चाहे लाखों गम हे।।

 

मोर सबला बेटी के,आँखी ह काबर नम हे।

तोर महिमा लिखे बर, मोर स्याही ह कम हे।।

तोर जस ल गावंव, बस इही तोर सनमान हे—

 

©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)

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