लेखक की कलम से

हिंदुस्तान लिखता हूँ …

 

मैं अपनी देशभक्ति को, धरम ईमान लिखता हूँ।

इस धरा को माँ, और पिता आसमां लिखता हूँ।।

कोई पूछे बता तेरा स्वर्ग कहाँ है–?—2

माँ कसम, मैं उसे हिंदुस्तान लिखता हूँ—-

 

वतन की सरपरस्ती से, कोई बड़ा नहीं होता।

आजादी की चाह में, जवानी खड़ा नहीं होता।।

कोई पूछे बता तेरा कौम क्या है-?–2

मैं बड़े गर्व से, उसे हिंदुस्तान लिखता हूँ —-

 

पता नहीं क्यूँ भेद करते हैं,लहू के दो रंग से।

सम्प्रदाय की जहर, और हिंसा के ढंग से।।

कोई पूछे बता तेरे नसों में क्या बहता है–?

मैं बड़े फख्र से उसे, हिंदुस्तान लिखता हूँ——

 

गंगा जमुना सी मजहब को, क्यूँ बाँटा वेद कुरान में।

धर्म की रेखा किसने खिंची, कीर्तन और अज़ान में।।

कोई पूछे तेरा अल्लाह और भगवान कहाँ है—?

मैं बड़े सम्मान से, उसे हिंदुस्तान लिखता हूँ——

 

©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)            

Back to top button