लेखक की कलम से

भारतीय नारी …

किनार साड़ी में बंधी

माथे पे सिन्दुरी गोल बिन्दीया,

मांग में सुहाग की सुरख लाली,

होटों पे मुस्कान और पेरौ में पायलिया,

यही तो पहचान है भारतीय नारी की।

 

लज्जा,ममता,साहस यह सब गुण है इसके,

त्याग, बलिदान से वो परिपूर्ण है और अनेक रूप है उसके ,

यही तो पहचान है भारतीय नारी की।

 

कहते हैं आदमी की सफलता के पीछे स्त्री होती है,

मकान को घर बनाने की जिम्मेदार भी स्त्री होती है,

यही तो पहचान है भारतीय नारी की।

 

दे देती है अपना पुत्र और पति धरती की सुरक्षा के लिए,

हो जाते है न्योछावर ममता और सुहाग देश के लिए,

यही तो पहचान है भारतीय नारी की।

 

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड

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