लेखक की कलम से

जग में क्या होता है प्यार….

प्रेम है जीवन की मर्यादा

               प्रेम जगत का सार

प्रेम परीक्षा नजरों की है

           रिश्तों का आधार

प्रेम से धागा बाँध कलाई

          बहना करे दुलार

प्रेम के वश माँ की छाती से

        निकले दूध की धार

प्रेम पर्व है, आजा जी लें

         प्रेम के पल दो चार

कलुषित मन क्या जानें

       जग में क्या होता है प्यार….

©अनुपम अहलावत, सेक्टर-48 नोएडा

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