लेखक की कलम से

भ्रम और अफवाह के बीच बंटे हुए हैं देश में लोग

विशेष लेख : ©डॉ. अन्नपूर्णा तिवारी

हमारे लोकतंत्र में असहमति और विरोध का हक सबको है, लेकिन विरोध के नाम पर देश को जलाना खुद का घर फूंकने जैसा है। धरना-प्रदर्शन की आड़ में सरकारी संपत्तियों को जलाना, पुलिस पर पत्थरबाजी करना, उनकी जान को संकट में डालना विरोध का तरीका नहीं हो सकता। विरोध भी अगर झूठ की बुनियाद पर हो रहा हो तो यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है।

सीएए नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस को लेकर देश में ऐसा ही हो रहा है, बिना तथ्यों को जाने करोड़ों लोग सीसीए व एनआरसी के खिलाफ सड़कों पर हैं और कांग्रेस, टीएमसी, वामदल समेत सभी विपक्षी दल उनका साथ दे रहे हैं। इन दलों के लोग खुद हिंसक विरोध व उपद्रव में शामिल हो रहे हैं। कमाल की बात यह है कि विरोध जताने के लिए कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल के नेता एनआरसी व सीएए के बारे में झूठ बोल रहे हैं अफवाह फैला रहे हैं और वोट बैंक के वास्ते एक समुदाय को डरा रहे हैं जबकि दोनों ही कानून ना ही भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ है और ना ही असंवैधानिक है।

एनआरसी की बात करें तो इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना के लिए केवल असम में लागू किया गया। एनआरसी का प्रस्ताव कांग्रेस सरकार के समय ही लाया गया था एनआरसी का उद्देश्य सिर्फ असम में रह रहे लोगों की पहचान करना है और पता लगाना है कि वहां अवैध लोग तो नहीं रह रहे हैं। दरअसल पूर्वोत्तर भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या रही है। इसलिए घुसपैठियों की पहचान के लिए एनआरसी जैसी कवायद की गई राज्य को पूरा हक है कि वह अपने यहां रह रहे अवैध नागरिकों का पता लगाएं इसी तरह सीए के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न से भाग कर आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को भारतीय नागरिकता ने का प्रावधान है।

इस कानून में नागरिकता देने की बात है वह भी इन तीन इस्लामिक देशों के अल्पसंख्यकों को इसमें किसी की नागरिकता का कोई प्रावधान नहीं है हर देश को नागरिकता प्रदान करने के लिए नियम तय करने का संवैधानिक अधिकार है भारत को भी है वह किसे नागरिकता दे या किसे नहीं दिए में भारत ने यही किया है। एनआरसी और सीए दोनों ही मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है जैसा कि विपक्षी दल इन्हें मुसलमानों के खिलाफ बता रहे हैं। मुस्लिम समुदाय को भी बहकावे में आने से पूर्व सीए एनआरसी के बारे में अच्छी तरह जानकारी लेनी चाहिए अपने ही सरकार को खलनायक की तरह देखना सही है या नहीं है हमें यह देखना होगा कि हम तेजी से विकासशील अर्थव्यवस्था है सभी प्रमुख देशों के निवेशक भारत में कारोबार कर रहे हैं इसके लिए समूचे देश में अमन रहना जरूरी है।

भारत की पहचान व गांधी के देश के रूप में है जिसके मूल में अहिंसा के पुजारी देश में हिंसक प्रदर्शन निंदनीय है 1991 के बाद से भारत मुक्त अर्थव्यवस्था की नीति को अपनाया है। उसमें जरूरी है कि देश में शांति व सद्भाव रहे सरकार की ओर से राजनीतिक जमात की ओर से हमेशा यह संदेश दिया जाना चाहिए कि देश सबका है और हम सभी धर्म और समुदाय के लोग भारत के गुलदस्ते हैं किन्ही का हक नहीं छीना जाएगा।

एनआरसी व सीएए को लेकर विपक्ष का बेतुका विरोध खड़ा करना अपनों के बीच दरार पैदा करना है, कांग्रेस को मुस्लिम समुदायों के बीच भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। देश को जलाना व हिंसा करना लोकतांत्रिक विरोध का तरीका नहीं हो सकता। हिंसा व उपद्रव पर सुप्रीम कोर्ट का नाराज होना जायज है, सबको समझना चाहिए कि देश संविधान से चलेगा। किसी के हाथ में से नहीं चलेगा सबको देश के संविधान व कानून पर भरोसा होना चाहिए।

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