लेखक की कलम से

जो तूफानों में घबराए वो …

दु:ख में भी वह हिम्मत कभी खो नहीं सकता

जो तूफानों में घबराए वो हिंदुस्तानी हो नहीं सकता..

 

जिसके माथे पर हाथ है सदा उस खुदा का ऐ बंदे

वह इस जीवन में कभी भी रो नहीं सकता…

 

जिसने खाई है इस माटी की कसम हर पहर

वह बिन फर्ज निभाएं कभी सो नहीं सकता…

 

जो बोता है हर मौसम खुशियों की फसलें

वह जीवन में कभी आंसू बो नहीं सकता ..

 

महर कर सब पर तू एक खुदा माफ कर हर सजा

वह मासूम बिन निवाला खाए सो नहीं सकता….

 

दुख में भी वह हिम्मत कभी खो नहीं सकता

जो तूफानों में घबराए वो हिंदुस्तानी हो नहीं सकता.

©दिव्या त्रिवेदी, पूर्णियां बिहार

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