दाई -ददा ल मान भगवान …
पितर -पाख बिशेस
दाई -ददा ल तैहा, मान भगवान–2
वोकर पांव के धुर्रा हे, सरग समान।।
तीन लोक म खोजे, नइ मिले भगवान।
वोकर पांव के धुर्रा हे, सरग समान।।
जिंयत-जिंयत, वोकर सेवा कर ले।
अपन ओली म, खुसी ल तै भर ले।।
खाये बर रोटी दे, पिये बर दे पानी।
सेवा कर ले तै, अउ बोल मीठ बानी।।
एक दिन तहू ह, जाबे शमशान–
जइसन करबे, वइसन तहू ह भरबे।
एक दिन तहू ह, ये चक्कर म पडबे।।
तोर बाना ल तोर, बेटा मन उठाही।
तोरेच चीज म, तुहिच ल तरसाही।।
जइसन देबे, तइसन लेबे, ये बात ल तै जान–
माटी के काया, हो जहि जल के राख ग।
कौंवा बन आबे फेर, तेहा पितर पाख ग।।
बरा भजिया रांधही, बेटा, बहू हाँस-हाँस के।
हूम दे के आगी म, सब खाही धांस धांस के।।
तोला पितर मिलाही, सब झन तिहार जान —–
जिंयत रिहिस त, पानी नइ पियाएस।
मरे के पाछु, गया -गंगा जा नहाएस।।
दाना-दाना बर, जिनगी भर तरसाये।
मरे के पाछु, पितर भात ल खवाये।।
तोर करनी ल देखे, तोरेच संतान—-
जिंयत जागत जेन, पितर सेवा करहि।
दाई-ददा के वोहा, ऋण ले उबरही।।
दाई -ददा ल जेन, जिंयत तरसाही।
नाना किसिम के, वो नरक म झपाही।।
अगले जनम म धरही, कुकुर, कौंवा जान–
©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)