लेखक की कलम से

ये अनजाने रास्ते…

ख़यालनामा

 

ये रास्ते कहाँ ले जा रहे हैं हमें,

कितना कुछ सीखा रहे हैं हमें।

बस पहुंचने ही वाले हैं कहीं, ऎसा लगता है,

कभी खत्म ना हो ये सफ़र, ऎसा लगता है।

कुछ अच्छे कुछ बुरे मोड़ है यहाँ,

हर कदम पर आगे निकलने की होड़ है यहाँ।

कभी सुख तो कभी दुःख है यहाँ।

कितने यादगार होते हैं ना कुछ पल,

मन ही नहीं करता बीत जाएं ये हसीं पल।

चमक दे जाते है आखों में,

और मचा जाते हैं इस शांत जिंदगी में हलचल।

हर मोड़ पर बहुत उतार-चढाव,

सीखते हैं गिरना, गिरकर उठना,

सीखते हैं बस चलते ही रहना,

चाहें जैसे भी हो पड़ाव बस चलते ही रहना।

©अमित साहू, नोएडा, दिल्ली

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