लेखक की कलम से

माँ भवानी …

चले माँ भवानी को हम सब बुलाएँ

मनों आस्था भक्ति को हम जगाएँ

 

रखे रूप नवरात्र का माँ पधारे

चलो आप हम द्वार माँ का सजाएँ

 

रहे नव दिवस रोज उपवास हम सब

फलाहार से पूर्व माँ को खिलाएँ

 

प्रथम शैल कन्या सदा पूजते हम

सती भगवती को सभी मिल मनाएँ

 

बह्मचारिणी पूजते दूसरे दिन

तपस्या और चारीणि माँ को मनाएँ

 

परम शांति कल्याणकारी चंद्रे है

करे स्तुति और  हम शांति पाएँ

 

©डॉ मधु त्रिवेदी, आगरा, उत्तरप्रदेश

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