लेखक की कलम से

सच्ची बातें …

 

समंदर पाने की जिद में,

अक्सर दरिया भूल जाते हैं,

अगर हो कोई प्यासा,

तो दरिया ही प्यास बुझाती है,

है कौन मेरा अपना,

पहचान गम में ही होती है,

जो लगते हैं सच में अपने,

दुख में ही पहचाने जाते हैं,

समय की डगर में भी,

लोग पहचाने जाते हैं,

अपने हो जाते हैं बेगाने,

गैर हो जाते हैं अपने,

बिना फल की चिंता किए,

भलाई करता जा,

फिर राह भी तेरी होंगी,

मंजिल भी तेरी होंगी,

चुनकर अश्कों के मोती को,

खुशी के दीप जलाता जा,

मिले कोई राह में भटका,

उसे राह दिखाता जा,

ये जग न तेरा है न मेरा है,

बस प्यार का ठिकाना है,

मिले प्यार के बदले में प्यार,

तो क्या गम है जीने में।।

 

©पूनम सिंह, नोएडा, उत्तरप्रदेश                 

Back to top button