लेखक की कलम से
ये विरासत मेरी तो खानदानी है …
पास में दौलते हक़ बयानी तो है
ये विरासत मेरी खानदानी तो है
मै हूं खुश मेरी कोई कहानी तो है
वो नही है तो उसकी निशानी तो है
बेवफा जो कभी खुद को कहता नही
वो मुझे देख कर पानी पानी तो है
आज कल आप कुछ बोलते ही नही
आपके दिल में कुछ बदगुमानी तो है
खुशनुमा कुछ न बोलो के उनके सबब
मेरी सांसों में अब तक रवानी तो है
©खुशनुमा हयात, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश