लेखक की कलम से

तुम्हें बराबरी क्यों करनी है …

 

तुम्हें किसी की बराबरी क्यों करनी है,

तुम उससे आगे भी तो जा सकते हो।

जो मंजिल सिर्फ तुम्हारी है,

उस मंजिल को बस तुम ही पा सकते हो।।

चंद लम्हे देखे हुए ख्वाब को,

आसमां तक तुम ही ले जा सकते हो।

तुम्हें किसी की बराबरी क्यों करनी है,

तुम उससे आगे भी तो जा सकते हो।।

 

खबर ना लगे किसी और को,

ऐसा एक मुकाम भी पा सकते हो।

ज़मीं से भी उठकर,

आसमान तक जा सकते हो।।

तुम्हें किसी की बराबरी क्यों करनी है,

तुम उससे आगे भी तो जा सकते हो….

 

अनसुनी पहेलियों को भी,

कहानी बता सकते हो।

हर रात को देखे ख्वाब को,

सुबह हकीकत बना सकते हो।।

तुम्हें किसी की बराबरी क्यों करनी है,

तुम उससे आगे भी तो जा सकते हो…..

 

 

©सुरभि शर्मा, शिवपुरी, मध्य प्रदेश 

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