लेखक की कलम से
बैसाखी …
(कविता)
बैसाख भी
आज है उदास
बैसाखी मनाने वाला
नहीं है आस -पास
खेत -खलिहान
सूने नज़र हैं आते
ख़ुशियों के गीत
होंठों पर नहीं मुसकाते
हर्ष के आँसू
बदल गए हैं
आहों में
शहीद हुए हैं
कई किसान
सच की राहों में
जिस घर से
उठी हो अर्थी
उस घर का
कैसा बैसाख
कैसी बैसाखी …
©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़