लेखक की कलम से
खेल नए पुराने का…
दिसंबर ने जनवरी को समझाया ।
जैसे मैं पुराना गया तो नया तू आया ।
वैसे ही जब तू जाएगा तो फरवरी आएगा ।
सबकी अपनी किस्मत कोई नही टिक पायेगा।।
अब तू नया होने से इतरा मत ।
थोड़े ही दिन मिलेगा तुझे सुख।।
ठंड बढ़ते ही तेरे जाने का होगा इंतजार ।
लोग करेंगे फिर फरवरी से दुलार ।।
फरवरी में वेलेंटाइन डे जो आएगा ।
जो प्रेमी -प्रेमिकाओं का मिलन करवाएगा ।।
इसी तरह मदमाता मार्च जब आएगा ।
फाल्गुन के रंग होली संग लाएगा ।।
बस यही समझाना था तुझको ।
ज्यादा नही कुछ बोलना मुझको ।।
पुराने का टाइम जब पूरा होता है ।
नया भी पुराना जरूर होता है ।।
©ममता गर्ग, ठाकुरगंज, लखनऊ, उत्तरप्रदेश