लेखक की कलम से

रक्षाबंधन …

 

आया सावन राखी आई बहना प्यारी फूली ना समाई

रौली-मौली, राखी- मिठाई इन सबसे थाल सजाई।

तिलक करती, बलैयां लेती भाई की आरती उतारती

प्रीत के इन धागों के संग भाई पर अपना प्यार बरसाती।

बहना भाई को बांधे एक सूत का कच्चा धागा

भाई भी रक्षा का बहना को है करता वादा।

सब दु:ख – सुख बहना तेरे हर लूंगा मैं

आंच तुझ पर कभी भी ना आने दूंगा मैं।

 

रेशम के धागे में हमको अनमोल हैं लगते

हीरे-जवाहरात भी इनके सामने फीके लगते।

बहना रूठे भाई मनाए, भाई रूठे बहना मनाती

जिनकी बहना प्रदेश बसे याद उनकी बहुत सताती।

 

रंग- बिरंगे इन धागों में देखो कैसा प्यार है छुपा

इन धागों में भाई के लिए बहन बांध देती दुआ

श्रावण मास की शुक्ल पूर्णिमा को सब राखी मनाओ

एक- दूजे पे प्यार लुटाओ भाई अपने से तोहफ़े पाओ।

 

  ©प्रेम बजाज, यमुनानगर  

 

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