लेखक की कलम से

अनोखा रिश्ता …

प्रेम की लहरे मन का समंदर हिचकोले सा

मेरा जीवन रंग प्रेम का गहरा- सा

जब देखू दर्पण, मेरी आँखों में तेरा चेहरा

बुदबुदाये अंग -अंग मेरा

ख्याल तेरा मुझ को छू लेता

महके साँसें तेरी खुशबू से

भीगे तन मन तेरी यादों से

नमी हँसी खिलती तुझमें

तेरे दूर जाने के डर से मुरझाने लगता

मेरा तन मन

सुख •••••••आंक्षी

का मिलन हवा से बातें करता है।

बिछड़ने का पल •••••

मेरी धड़कन, साँसों को धीमे धीमे करता है।

?एहसास मीठा पल पल रूह में उतरता है।

दूर जाने का लम्हा मेरे दिल को छलता है।

सुख———–की आंक्षी

सुख बिन अधूरी

आंक्षी की आकांक्षा सुख बिन

अधूरी••••••

सुखकांक्षी ——कर दो

रूह को छूकर जन्नत दिला दो

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा

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